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Essay on Pollution

Simple Essay on Pollution in Hindi

वातावरण में उपस्थित हानिकारक तत्व जो जीवन को प्रभावित करती है उसे प्रदुषण कहते है। प्रदुषण न केवल इंसान बल्कि धरती पर उपस्थित अन्य जीव-जंतुओं को भी प्रभावित करता है। हानिकारक तत्वों का वातावरण में होने का जिम्मेदार हम इंसान ही है। आज हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी की मदद से प्रगति कर रहे है। विज्ञान की मदद से बड़े-बड़े मशीनों का उत्पादन हो रहा है। इन मशीनों को चलाने के लिए ईंधन के रूप में डीजल या पेट्रोल का उपयोग होता है। इनसे निकलने वाली हानिकारक धुआं वातावरण में फैल जाता है। जिसके कारण हमारा पर्यावरण प्रभावित होता है। ऐसी मशीनों की संख्या पुरे विश्व में करोड़ों में है।

इन संख्याओं को देखते हुए हम इसके दुष्परिणामों का अंदाजा लगा सकते है। इन मशीनों के अंतर्गत गाड़ी-मोटर, जनरेटर, हवाई जहाज, पानी जहाज, इत्यादि आते है। प्रदुषण का प्रमुख कारण सिर्फ ये ही नहीं है, बल्कि अन्य बहुत से कारण है जिसकी वजह से हम प्रदुषण का सामना कर रहे है। कारखानों में उपयोग होने वाले रासायनिक तत्वों के अपशिष्ट शीधे नदी-नालों में बहना। कारखानों से निकलने वाले हानिकारक धुवां हमारे आसपास फ़ैल जाते है। ऐसे वातावरण में हमें सांस लेने में समस्या तथा प्रभावित होकर बीमार पड़ जाते है। प्रदुषण भी अलग-अलग प्रकार के होते हो जो अलग-अलग प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुचाते है।

हमारे चारों ओर उपस्थित प्राकृतिक संसाधन जैसे हवा, पानी, मिट्टी, इत्यादि है। इन प्राकृतिक संसाधनों को प्रभावित करने वाले कारको को अलग श्रेणी में रखा गया है जिसमे कुछ प्रमुख प्रदुषण है: वायु-प्रदूषण, जल-प्रदूषण और ध्वनि-प्रदूषण ।
वायु-प्रदूषण : हमें साँस लेने के लिए स्वच्छ हवा की आवस्यकता होती है। मगर हमारे आसपास कारखानों, गाडियों इत्यादि से निकलने हानिकारक धुआं हवा को दूषित कर देता है। जिससे हम ठीक से सांस तक नहीं ले सकते है। ऐसे वातावरण में सांस लेने से हानिकारक तत्व हमारे फेफड़ों चला जाता है। जिसके कारण हमारे शरीर में जानलेवा बीमारियां उत्पन्न हो जाती है।
जल-प्रदूषण : कल कारखानों का दूषित पानी कई कारणों से हमारे पीने के पानी के श्रोत में मिल जाता है। जिसे पीने से भी हमारे शरीर में हानिकारक तत्व चले जाते है और हम बीमार हो जाते है।
ध्वनि-प्रदूषण : मनुष्य को रहने के लिए शांत वातावरण चाहिए। परन्तु आजकल कल-कारखानों का शोर, यातायात का शोर, मोटर-गाड़ियों के हॉर्न शोर, लाउड स्पीकरों की कर्णभेदक ध्वनि ने बहरेपन और तनाव जैसे समस्याएँ है।
हमें प्रदूषण के कारणों को समझ कर उन्हें खत्म करने के लिए प्रयास करना चाहिए। हमें किसी वस्तु के उपयोग कम करना चाहिए जिससे प्रदूषण होता है। हमें अधीक से अधीक पेड़ पौधे लगाने चाहिए।


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