[ 700 शब्द ] Essay on Communalism in Hindi ( Short and Simple ) - साम्प्रदायिकता पर निबंध

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essay on communalism in hindi

Communalism par nibandh Hindi mein

भूमिका:
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक और दूसरा अधिक जनसंख्या वाला देश है। यहां पर सभी धर्म के मानने वाले लोग रहते हैं। जैसा की हम जानते हैं कि जब किसी देश में अधिक धर्म के मानने वाले लोग रहते हैं तो उनके बीच मनमुटाव की स्थिति उत्पन्न होती है। और कई बार यह मनमुटाव की स्थिति सांप्रदायिकता का का रूप धारण कर लेती है।


जिसके कारण कई निर्दोष लोगों की जान चली जाती है ऐसे में देखा गया है कि एक धर्म के लोग दूसरे धर्म के खिलाफ बिना मतलब के बातें कर माहौल को खराब करने का काम करते हैं। अगर कोई धर्म का व्यक्ति दूसरे धर्म के खिलाफ बोलेगा तो जाहिर सी बात है कि दोनों के बीच मनमुटाव की स्थिति उत्पन्न होगी और यही स्थिति झगड़े के रूप में तब्दील हो जाएगी जिसका खामियाजा देश और समाज दोनों को भुगतना पड़ता है।


सांप्रदायिकता क्या है:
व्यापक अर्थ में साम्प्रदायिकता का अर्थ है अपने समुदाय के प्रति आस्था और लगाव का होना होता है। हम इस बात को ऐसे समझ सकते हैं कि मान लीजिए कि आप हिंदू धर्म के मानने वाले हैं तो आप हिंदू धर्म के सभी नियमों कानूनों का पालन करेंगे और अपने धर्म में आस्था रखेंगे।


उसी प्रकार जितने भी धर्म है सभी की प्रक्रिया बिल्कुल ऐसी है और ऐसे में एक धर्म दूसरे धर्म के नियम कानूनों के ऊपर अगर किसी प्रकार का कोई आपत्तिजनक बयान दे दे तो इस प्रकार गतिविधियां सांप्रदायिकता के स्वरूप में बदल जाती है और उसके कारण समाज में मनमुटाव लड़ाई झगड़े से स्थितियां उत्पन्न होती हैं।


भारत के सांप्रदायिकता के चरण:
भारत में साम्प्रदायिकता या साम्प्रदायिक विचारधारा में निम्न तीन मूल तत्व या चरण होते हैं जो एक दूसरे का अनुसरण करते हैं:


पहला चरण :
इस चरण में राष्ट्रवादी हिंदू, मुस्लिम, सिख आदि का उदय था, जिसमें केवल सांप्रदायिकता का पहला तत्व था।


दूसरी ओर फ़राज़ी आंदोलन जैसे आंदोलनों ने बंगाल में हाजी शरीयतुल्ला को बंगाली मुसलमानों को इस्लाम के सच्चे रास्ते पर वापस लाने के लिए शुरू किया, यह धार्मिक सुधार आंदोलन में से एक था। जिसने 19वीं शताब्दी में सांप्रदायिकता पर असर डाला था।


बाद में सैयद अहमद खान जैसे लोग, जिन्होंने वैज्ञानिक और तर्कसंगत दृष्टिकोण होने के बावजूद, भारतीय मुसलमानों को एक अलग समुदाय (क़ौम) के रूप में पेश किया, जिनकी रुचि दूसरों से अलग थी।


दूसरा चरण:
यह चरण उदार सांप्रदायिकता का था, यह सांप्रदायिक राजनीति में विश्वास करता था लेकिन लोकतांत्रिक, मानवतावादी और राष्ट्रवादी मूल्यों में उदार था। यह मूल रूप से 1937 से पहले था।


तीसरा चरण:
यह चरण चरम सांप्रदायिकता का चरण था, इसमें फासीवादी प्रभाव था। इसने भय और घृणा के आधार पर अलग राष्ट्र की मांग की गई। इसमें भाषा, कर्म और व्यवहार की हिंसा का उपयोग करने की प्रवृत्ति थी। उदाहरण: 1937 के बाद मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा।


सांप्रदायिकता के विस्तार को कैसे रोके:
कार्यस्थल, पड़ोस आदि में विभिन्न स्तरों पर विभिन्न धार्मिक समूहों की एकजुटता और आत्मसात करना। एक दूसरे धार्मिक त्योहारों में सम्मिलित होना। इसके अलावा स्कूल और कॉलेजों में छोटे बच्चों को बचपन से इस बात की शिक्षा देना कि मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है।


इसलिए हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए और ना ही किसी भी धर्म के ऊपर आपत्तिजनक बातें करनी चाहिए। तभी जाकर हमारे समाज में भाईचारा और आपसी प्यार मोहब्बत बना रहेगा। सरकार को भी ऐसे लोगों पर पाबंदी लगानी चाहिए जो किसी भी धर्म के खिलाफ लगातार कोई भी आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल कर रहा हैं।


और ऐसे लोगों की जगह समाज में नहीं बल्कि जेल के अंदर हो। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी विशेष प्रकार के नियम और कानून बनाना चाहिए ताकि कोई भी व्यक्ति सोशल मीडिया का गलत उपयोग कर समाज में धार्मिक उन्माद फैला सके। जैसे कोई फेक न्यूज़ का प्रचार करना।


वर्तमान भारत में मॉल मैथ समिति की सिफारिश के अनुसार आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। इस बात का भी ध्यान रखना है कि चुनाव के समय कोई भी राजनीतिक पार्टी किसी धर्म के ऊपर कोई भी ऐसा बयान ना दें जिससे समाज में धार्मिक उन्माद या आपसी भाईचारे में तनाव जैसी स्थिति उत्पन्न हो।


क्योंकि अगर ऐसा होता है तो समाज में लड़ाई झगड़े और भी ज्यादा बढ़ेंगे और एक दिन यह विकराल रूप धारण कर लेगी ऐसे में अगर ऐसा होता है तो किसी भी देश को टूटने से कोई रोक नहीं सकता है।





F.A.Q ( अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल )

  1. सांप्रदायिकता किसे कहते है ?
  2. सांप्रदायिकता उस स्थिति को कहते है जब कोई व्यक्ति सिर्फ अपने धर्म को श्रेष्ट मानता है और दुसरे धर्म को हीन की भावना से देखता है।

  3. सांप्रदायिकता को अंग्रेजी में क्या कहते है ?
  4. सांप्रदायिकता को अंग्रेजी में कोम्मुनालिस्म ( communalism ) कहते है।

  5. किस दौर के भारत में सांप्रदायिकता की दर कम या न के बराबर थी?
  6. भारत में वर्ष 1937 से पहले सांप्रदायिकता की दर शून्य थी।


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