[ 350 शब्द ] Essay on bhikhari in Hindi - bhikhari par nibandh Hindi mein

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bhikhari par nibandh

[300]Essay on bhikhari in Hindi - bhikhari par nibandh Hindi mein

भूमिका:- हमारे देश में अमीर से अमीर और गरीब से गरीब लोग रहते है। लेकिन लगातार बढती आबादी में कुछ ऐसे लोग भी है जिन्हें भोजन चार दाने या फटे-पुराने वस्त्र तक के लिए दुसरे के सामने हाथ फैलाना पड़ता है। ऐसे लोगो को हमारे समाज में भिक्षुक या भिखमंगा के नाम से जाना जाता है।


भिक्षुक बनने के कारण:- किसी गंभीर बीमारी कि वजह से लाचार हो जाने की स्थिति में या अपाहिज होकर जीने को मजबूर किसी को भीख मांगना पड़ सकता है। परन्तु कुछ आलसी लोग परिश्रम करने के डर से भीख मांगने लगते है। छोटे-छोटे कुछ बच्चे अनाथ होने या अपने परिवार से बिछड़ जाने कि वजह से भीख मांगकर अपना जीवन बिताते है। कुछ लोग जन्म से ही अंधे बहरे या लंगड़े लूले होते है जो कोई काम करने लायक नहीं होते अतः भीख मांगकर अपने जिन्दगी के दिन गुजारते है।


कठिनाइयां और भीख मांगने के ढंग:- भिखारियों को हर मौसम में भोजन जुटाने के लिए घूम-घूमकर या किसी नियत स्थान पर बैठकर लोगो को इश्वर कि दुहाई देते हुए उनके सामने झोली फैलानी पड़ती है। अधिकतर भिखारी रेलवे प्लेटफ़ार्म बस-अड्डे मंदिर सिनेमा होल या बाजार जैसे भीडवाले स्थानों के आस-पास घूमते रहते है। ये हमारे बच्चो कि तरकी एवं सलामती कि दुहाई देकर सबके सामने हाथ फैलाते रहते है।


कुछ भिखारी सडको के किनारे बैठे होते है, कुछ भिखारी रेल के डिब्बो में गाने भजन आदि सुनाकर लोगो के सामने कटोरा फैलाते है। इन्हें रात गुजारने के लिए रेलवे-स्टेशन के प्लेटफार्म शहरो के फुटपाथ या गाँवो के बगीचों का सहारा लेना पड़ता है। इनके पास प्रचंड गर्मी या कड़ाके कि ठंड से बचने का कोई साधन नहीं होता है।


हमारा कर्तव्य:- हमें अपाहिज या लाचार भिखारियों कि अवश्य मदद करनी चाहिए। इन्हें घृणा कि दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। कुछ लोग तो इन्हें काली का अवतार मानते है परन्तु जो लोग मेहनत के डर से या शौक से भीख मांगते है उन्हें सही रास्ते पर लाने का प्रयास करना चाहिए। ऐसे पेशेवर भिखारियों के प्रति कठोर रुख अपनाने में कोई पाप नहीं है।



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