Essay on Bal Gangadhar Tilak in Hindi - Bal Gangadhar Tilak par nibandh Hindi mein - short biography of Bal gangadhar tilak

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Essay on Bal Gangadhar Tilak in Hindi - Bal Gangadhar Tilak par nibandh Hindi mein

भूमिका: बाल गंगाधर तिलक भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी राजनीतिक नेता थे । जिन्होंने भारत के आजादी में अपनी एक अहम भूमिका निभाई और वह हमेशा ब्रिटिश सरकार के सभी नीतियों की कड़ी आलोचना करते थे और उनका विरोध भी करते थे। इसके लिए उन्होंने लाला लाजपत राय और बिपिन चंद्र पाल को मिलाकर अपनी एक टीम बनाई थी।


जिन्हें हम लोग लाल, बाल, पाल के नाम से जानते हैं। बाल गंगाधर तिलक का पूरा जीवन देश के लिए समर्पित था। भारत मां के सच्चे पुत्र बाल गंगाधर तिलक भारत में लोगों के मन में स्वराज की भावना का विकास किया। उनका नारा स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। इस नारा के द्वारा लोगों के अंदर चेतना जागृत हुई। बाल गंगाधर तिलक एक राजनेता नहीं बल्कि एक विद्वान और दार्शनिक थे।


बाल गंगाधर तिलक का प्रारंभिक जीवन: बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई, 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी के चिखली गांव के ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बाल गंगाधर तिलक जी का जन्म मध्यम वर्ग के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम रामचन्द्र गंगाधर तिलक पंत था जो एक शिक्षक थे और माता का नाम पार्वती बाई था। इनके दादा केशव राव बाजीराव पेशवा के शासनकाल में उच्च पद पर आसीन थे।


बाल गंगाधर तिलक की शिक्षा: बाल गंगाधर तिलक ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर से ही प्राप्त किये। इनके पिता स्कूल में अध्यापक का काम करते थे। उन्होंने बचपन काल में बाल गंगाधर तिलक को संस्कृत, मराठी, गणित विषय की जानकारी अच्छी तरह से दिया। इसके बाद बाल गंगाधर तिलक ने महाराष्ट्र के डेक्कन कॉलेज में बी० ए० में दाखिला लिया। 1877 में उन्होंने गणित में बी० ए० की डिग्री हासिल की। 1879 में उन्होंने कानून के क्षेत्र में डिग्री हासिल की । उनके बारे में कहा जाता है कि M.A एग्जाम में दो बार फेल हुए थे ।


बाल गंगाधर तिलक का करियर: बाल गंगाधर तिलक ने अपने करियर की शुरुआत के तौर पर की थी। इसके लिए उन्होंने केसरी नाम का अखबार प्रकाशित किया था। जिसके माध्यम से वह देश में रहने वाले नागरिकों को इस बात का अहसास करवाते थे कि किस प्रकार ब्रिटिश सरकार उनके अधिकारों का हनन कर रही है। और देश में उपस्थित हमारे संसाधनों को लूट कर इंग्लैंड ले जा रही है। गंगाधर तिलक जी ने सन 1914 में भारतीय गृह नियम लीग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।


गंगाधर तिलक का राजनीतिक में प्रवेश: 1880 में बाल गंगाधर तिलक का राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश हुआ । बलवंत बासुदेव की मदद से उन्होंने अपने हाथ में तिरंगा लेकर सरकार के खिलाफ आंदोलन चालू कर दिया। बाल गंगाधर तिलक ने 1880 में महाराष्ट्र के पुणे में एक स्कूल स्थापित किया था। बाल गंगाधर तिलक ने अपने अखबार केसरी में सरकार के खिलाफ कुछ ऐसे शब्द लिखें कि उनके खिलाफ व सरकार ने राजद्रोह का मामला दर्ज किया। जिसके कारण उन्हें 18 महीने जेल की सजा काटनी पड़ी। जेल से बाहर आने के बाद उसने डेकन एजुकेशन सोसायटी और फग्युर्सन कॉलेज की स्थापना की।


बाल गंगाधर तिलक का सामाजिक संघर्ष: बाल गंगाधर तिलक जी ने सन 1888 से सन 1889 में शराबबंदी, नशाबंदी और भ्रष्टाचार के खिलाफ उन्होंने अपने अखबार में लिखा और लोगों को जागृत किया। बाल गंगाधर तिलक को सन 1889 में मुंबई कांग्रेस का प्रतिनिधि चुना गया। बाल गंगाधर तिलक जी ने सन 1891 को सरकार द्वारा विवाह की उम्र का स्वीकृति विधेयक का बिल प्रस्तुत किया था।


जिसका उन्होंने घोर विरोध किया। बाल गंगाधर तिलक ने एक बार एक अंग्रेजी मीडियम स्कूल में भाषण देना शुरू किया। उसके बाद देश में रहने वाले हिंदू उनका घोर विरोध किया जिसके बाद उन्हें स्नान करना पड़ा। बाल गंगाधर तिलक हमेशा देश में व्याप्त गरीबी को दूर करने के लिए अभियान चलाने का काम किया करते थे।


महाराष्ट्र में गणेश महोत्सव और शिवाजी जयंती मनाने की परंपरा की शुरुआत बाल गंगाधर तिलक के द्वारा ही हुआ था। तब से ही महाराष्ट्र में गणेश महोत्सव और शिवाजी जयंती बनाया जाता है 1895 में कांग्रेस की उन्होंने घोर आलोचना की।


बाल गंगाधर तिलक के राष्ट्रीयता और अन्य विचार : बाल गंगाधर तिलक जी ने सन 1905 में स्वदेशी आंदोलन को पूरे महाराष्ट्र में फैला दिया था। बाल गंगाधर तिलक जी ने राष्ट्रीय शिक्षा का प्रचार करने के साथ-साथ उन्होंने देवनागरी लिपि को प्रांतीय भाषाओं में प्रयोग करने पर बहुत जोर दिया।


उन्होंने सन 1907 के सूरत के अधिवेशन में अपने नाम का प्रस्ताव रखकर कांग्रेस में फूट डाली थी। जब तिलक जी का नेतृत्व करने के लिए गरमपग्थियों का दल अलग हुआ था तब उन्होंने स्वदेशी का नारा और ज्यादा बुलंदी से लगाया था। उन्होंने नशाबन्दी आंदोलन को सरकार की लाभकारी नीतियों के संबंध में चलाया था।


तिलक जी ने केसरी के जरिए मुजफ्फरपुर कांड में खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी की फांसी का विरोध किया था। उन्होंने रूस के क्रांतिकारियों के साथ में रहकर बम बनाने और छापामार युद्ध की शैली को सीखा था। शक के आधार पर उनके घर से तलाशी के समय में बम बनाने का सामान हाथ लगा था।


इस आरोप की पैरवी मोहम्मद अली जिन्ना कर रहे थे। खुद तिलक जी ने इसकी 21 घंटे तक पैरवी की थी। लेकिन उन्हें सन 1908 में इस आरोप की वजह से उन्हें 6 साल की काला पानी की सजा सुना दी गई थी। इस 6 साल की सजा में उन्हें मांडले जेल के बहुत ही कष्टप्रद माहौल में रखा गया था।


इसी बीच उनकी पत्नी की भी मृत्यु हो गई थी। जब 1914 में वे मांडले जेल से रिहा हुए तो उन पर कई अपराधों को थोपा गया था। सन् 1916 में तिलक जी ने कांग्रेस और मुस्लिम लीग का संयुक्त अधिवेशन भी करवाया था। दोनों राज्यों ने लखनऊ पैक्ट के द्वारा स्वराज्य की मांग की थी।


जब सन 1917 में कांग्रेस अधिवेशन हुआ था तो एनीबेसेंट को अध्यक्ष निर्वाचित करवाया था। उन्होंने 1918 में मुंबई अधिवेशन के दौरान मिल रहे अध्यक्ष पद को स्वीकार करने से मना कर दिया था।


बाल गंगाधर तिलक का आंदोलनों में भाग : जब सन 1905 में बंग-भंग आंदोलन हुआ था उसमें बाल गंगाधर तिलक जी गरमपग्थी की विचारधारा के रूप में उभरे थे। उन्होंने स्वदेशी आंदोलन में भाग लेकर उसे पूरे महाराष्ट्र में फैलाया था। सन 1914 में उन्होंने एनीबेसेन्ट होम रूल आंदोलन में भाग लिया।


रचित पुस्तकें : बाल गंगाधर तिलक जी ने सन 1903 के कारावास के समय में ही दि आर्कटिक होम इन दी वेदाज पुस्तक को लिखा था। बाल गंगाधर जी ने वैदिक कोनोलाजी एण्ड वेदांग ज्योतिष भी लिखी थी जिसमें उन्होंने ऋग्वेद को ईसा से चार हजार पहले का बताया था। बाल गंगाधर तिलक जी ने 6 वर्ष की जेल यात्रा के समय 100 पृष्ठों की गीता की एक टीका लिखी थी जिसमे उन्होंने गीता की कर्मयोग व्याख्या में भक्ति, ज्ञान और कर्म में कर्म को उच्च बताया जो गीता रहस्य के नाम से बहुत प्रसिद्ध हुई थी।


गंगाधर तिलक की मृत्यु : बाल गंगाधर तिलक जी ने अपने संघर्ष और साथियों के साथ पर भारत माता को स्वतंत्रता दिलाने के लिए बहुत महान कार्य किये। वे जब तक जिन्दा रहे तब तक भारत को आजाद करने के लिए लड़ते रहे। लेकिन बाल गंगाधर तिलक की 1 अगस्त, 1920 को मुंबई में निमोनिया के कारण से अचानक ही मृत्यु हो गई थी।


उपसंहार : लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक एक महान राष्ट्रभक्त होने के साथ-साथ वर्ण राजनीतिज्ञ, दार्शनिक और चिंतक भी थे। उनकी विचारधारा ने तत्कालीन समय में तिलक युग की शुरुआत की थी। बाल गंगाधर तिलक जी ने स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी थी।





F.A.Q ( अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल )

  1. बाल गंगाधर तिलक कौन थे ?
  2. बाल गंगाधर तिलक भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी राजनीतिक नेता थे । जिन्होंने भारत के आजादी में अपनी एक अहम भूमिका निभाई।

  3. बाल गंगाधर तिलक के पिता का क्या नाम था ?
  4. बाल गंगाधर तिलक के पिता का नाम रामचन्द्र गंगाधर तिलक पंत था।

  5. बाल गंगाधर तिलक की माता का क्या नाम था ?
  6. बाल गंगाधर तिलक की माता का नाम पार्वती बाई था।

  7. बाल गंगाधर तिलक का जन्म कब और कहा हुआ था ?
  8. बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई, 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी के चिखली गांव के ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

  9. बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु कैसे हुई ?
  10. बाल गंगाधर तिलक की 1 अगस्त, 1920 को मुंबई में निमोनिया के कारण से अचानक ही मृत्यु हो गई थी।

  11. बाल गंगधार तिलक द्वारा संचालित अख़बार का नाम क्या था ?
  12. बाल गंगधार तिलक द्वारा संचालित अख़बार का नाम केसरी था।

  13. केसरी नामक अख़बार किस स्वतंत्रता सेनानी से सम्बंधित है ?
  14. केसरी नामक अख़बार बाल गंगधार तिलक से संबंधित है, जो एक स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी राजनीतिक नेता थे।


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