Essay on Sukhdev in Hindi - Sukhdev par nibandh Hindi mein - short biography of sukhdev thapar

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Essay on Sukhdev in Hindi - Sukhdev par nibandh Hindi mein

भूमिका: भारत के आजादी में कई क्रांतिकारी लोगों की भूमिका रही है। इसके अलावा देश को आजाद करवाने के लिए कई महापुरुषों ने अपनी जान भी निछावर किया है। उन महापुरुषों में सुखदेव का नाम सबसे विख्यात है। सुखदेव भगत सिंह के बचपन के दोस्त थे। दोनों ने साथ में पढ़ाई और एक साथ बड़े हुए। और देश को अंग्रेजों से मुक्त करवाने के लिए अपने प्राण एक साथ निछावर किये है।


सुखदेव भारत भूमि के सच्चे सपूत थे। उन्होंने देश के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिये। सुखदेव हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। सुखदेव का पूरा नाम सुखदेव थापर था।


सुखदेव का प्रारंभिक जीवन : 15 मई 1907 को पंजाब राज्य के लुधियाना शहर के चौरा बाजार क्षेत्र के नौघर मुहल्ले में क्रांतिकारी नेता सुखदेव का जन्म हुआ था। सुखदेव के जन्म स्थान के विषय में लोगों का दो प्रकार का मत है। कुछ लोगों का मानना है कि इनका जन्म लुधियाना शहर के नौघर क्षेत्र में हुआ था और कुछ लोग मानते है कि इनका जन्म लालयपुर में हुआ था।


लेकिन इनका असर जन्म लुधियाना में हुआ था। इनके पिता का नाम रामलाल तथा माता का नाम रल्ली देवी था। जब इनकी माता अपनी अगली सन्तान को जन्म देने वाली थी, उससे तीन महीने पहले ही इनके पिता की मृत्यु हो गई थी।


सुखदेव का पालन पोषण इनके ताया जी अचिन्तराम थापर ने किया। इनकी तायी जी भी इनसे बहुत प्रेम करती थी। वे दोनों इन्हें अपने पुत्र की तरह प्रेम करते थे। सुखदेव जी उनका काफी आदर सम्मान करते थे और उनकी हर बात को मानते थे।


सुखदेव की शिक्षा: सुखदेव जी की प्राथमिक शिक्षा गांव के ग्रामीण स्कूल में संपन्न हुई थी। उसके बाद उन्होंने नेशनल कॉलेज पंजाब में दाखिला लिया। इसकी स्थापना लाला लाजपत राय के द्वारा किया गया था। सुखदेव लाला लाजपत से काफी प्रभावित हुए और उनके नेतृत्व में उन्होंने कई आंदोलन में भाग लिया। इसके अलावा जब देश में असहयोग आंदोलन चला था तो उसमें भी सुखदेव ने भाग लिया।


इनके भाई परमानंद थापर को कॉलेज का प्रधानाचार्य नियुक्त किया गया। पंजाब नेशनल कॉलेज में छात्रों को देश के प्रति किस प्रकार अपने कर्तव्य का निर्वाह करना है उसके बारे में उन्हें बताया जाता था। लाहौर कॉलेज में ही सुखदेव की मुलाकात भगत सिंह, यशपाल और जयदेव गुप्ता के साथ हुई। एक जैसे विचारधारा होने से इनकी मित्रता काफी गहरी हो गई।


सुखदेव का स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ाव: 1919 जब जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था और पंजाब के कई शहरों में ‘मार्शल लॉ’ लागू था उस वक्त वह मात्र 12 वर्ष के थे और सातवीं कक्षा में पढ़ते थे। मार्शल लॉ के दौरान सुखदेव के चाचा अचिन्तराम को गिरफ्तार कर लिया गया। जिसका उनके मन पर गहरा असर पड़ा। सुखदेव के चाचा गिरफ्तारी के बाद जब जेल में थे तब सारे शहर के स्कूलों के बच्चों को एकत्र कर ‘यूनियन जैक’ के सामने अभिवादन कराया गया था मगर सुखदेव इसमें शामिल नहीं हुए।


अपने चाचा के लौटने पर उन्होंने उन्हें गर्व से बताया कि वे यूनियन जैक के सामने नहीं झुके। 1921 में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के दौरान पूरे देश में जागृति की लहर थी। सुखदेव के जीवन में भी परिवर्तन प्रारम्भ हुआ। वह अच्छे और महंगे कपड़ों, टाई-कॉलर, हैट और कोट के शौकीन थे।


पर असहयोग आंदोलन के बाद उन्होंने अंग्रेजी कपड़ों का त्याग कर दिया और खादी के कपड़े पहनने लगे। उन्होंने हिंदी भाषा सीखी और इसका प्रचार भी किया। वह मानते थे कि देश के उत्थान के लिए एक राष्ट्रभाषा की जरूरत है और इस जरूरत का केवल हिंदी ही पूरा कर सकती है।


सुखदेव का क्रांतिकारी जीवन: अपने देश प्रेम की भावना के कारण ही इन्होंने नेशनल कॉलेज में प्रवेश लिया था। इस कॉलेज में प्रवेश के साथ ही इनका क्रान्तिकारी जीवन शुरु हो गया था। यहॉ इनकी मित्रता भगत सिंह, यशपाल, जयदेव गुप्ता और झंड़ा सिंह से हुई। यह सभी इनकी तरह सशक्त क्रान्ति के समर्थक थे। ये पढ़ाई के बाद या कभी कभी पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह व अन्य साथियों के साथ संगठन के निर्माण की तैयारियाँ करते थे।


इन्होंने भगत सिंह और भगवती चरण वोहरा के साथ 1926 में नौ जवान भारत सभा का गठन किया। ये हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के भी सदस्य थे और पंजाब प्रान्त के नेता के रुप में कार्य करते थे। लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिये इन्होने साण्डर्स को मारने का निश्चय किया तथा इस कार्य में भगत सिंह ने भी इनकी सहायता की।


सुखदेव भगत सिंह के काफी घनिष्ठ मित्र थे उनके सभी कार्यों में कदम से कदम मिलाकर सहयोग करते थे। सुखदेव ने क्रांतिकारी विचारधारा का प्रचार प्रसार किया ताकि अधिक से अधिक युवा उनके साथ जुड़कर अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन कर सकें। इन्हें लाहौर षड़यंत्र के लिये गिरफ्तार करके जेल में रखा गया। उस समय भगत सिंह ने अपने साथियों के साथ राजनैतिक कैदियों के अधिकारों के लिये भूख हड़ताल की जिसमें सुखदेव भी शामिल थे।


सुखदेव को लाहौर षड्यंत्र केस की सजा : लाहौर षड्यंत्र केस में सुखदेव को 8 अक्टूबर 1930 को फांसी की सजा हुई। उनके साथ भगत सिंह और राजगुरु को भी सरकार ने लाहौर षड्यंत्र केस में अपराधी माना और उन्हें फांसी पर लटकाने का आदेश जारी किया। देश के सभी बड़े क्रांतिकारी भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु को जेल से छुड़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे थे। इस मामले पर गांधीजी पूरी तरह से निष्पक्ष थे उनका कोई भी बयान नहीं आया और ना ही उन्होंने कोशिश की।


सुखदेव की शहादत: सुखदेव भगत सिंह और राजगुरु को 24 मार्च 1931 को फांसी देने के समय ब्रिटिश सरकार की तरफ से निर्धारित किया गया था। लेकिन उस समय के पंजाब के होम सेक्रेटरी ने सुखदेव भगत सिंह और राजगुरु को 23 मार्च 1921 को ही फांसी पर लटकाने का आदेश जारी कर दिया। इसके पीछे का कारन बताई जाती है कि सरकार को इस बात का डर था कि अगर जनता को मालूम चल जाए कि इनकी फांसी कब होगी तो जनता क्रांतिकारी आंदोलन कर सकती है।


जिससे निपटना ब्रिटिश सरकार के लिए मुश्किल होगा इसलिए उन्होंने उनके फांसी को एक दिन पहले ही पारित किया और चोरी-छिपे रात को ही उनको फांसी दे दी गई और उनके शव को भी जला दिया गया।


उपसंहार : सुखदेव आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके द्वारा किये गये अभूतपूर्व कार्य अतुल्य है। इसके अलावा उनकी विचारधारा भारत में हमेशा जीवित रहेगी और हम सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत है। सुखदेव भारत के सच्चे सपूत थे जिन्होंने देश के हित के लिए अपने प्राण निछावर कर दिए।


इसलिए हम सबको उन्हें शत-शत नमन करना चाहिए और उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि हमारी यही होगी कि हमें भी देश के हित के लिए हमेशा काम करते रहना चाहिए ताकि हमारा देश का गौरव हमेशा बना रहे।





F.A.Q ( अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल )

  1. सुखदेव कौन थे ?
  2. भारत के आजादी में कई क्रांतिकारी लोगों की भूमिका रही है। इसके अलावा देश को आजाद करवाने के लिए कई महापुरुषों ने अपनी जान भी निछावर किया है। उन महापुरुषों में सुखदेव का नाम सबसे विख्यात है।

  3. सुखदेव के पिता का क्या नाम था ?
  4. सुखदेव के पिता का नाम रामलाल था।

  5. सुखदेव की माता का क्या नाम था ?
  6. सुखदेव की माता का नाम रल्ली देवी था।

  7. सुखदेव का जन्म कब और कहा हुआ था ?
  8. 15 मई 1907 को पंजाब राज्य के लुधियाना शहर के चौरा बाजार क्षेत्र के नौघर मुहल्ले में क्रांतिकारी नेता सुखदेव का जन्म हुआ था।

  9. सुखदेव की मृत्यु कब और कैसे हुई थी ?
  10. उनकी मौत 23 मार्च 1921 को ब्रिटिश सरकार द्वारा फांसी देने से हुई, उनके साथ ही भगत सिंह और राजगुरु को भी फांसी दी गई थी।

  11. लाहौर षड्यंत्र केस किस स्वतंत्रता सेनानी से था?
  12. लाहौर षड्यंत्र केस सुखदेव से संबंधित है।


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