Essay on Bipin chandra pal in Hindi - Bipin chandra pal par nibandh Hindi mein

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essay on bipin chandra pal in hindi

Essay on Bipin chandra pal in Hindi - Bipin chandra pal par nibandh Hindi mein

भूमिका: बिपिन चंद्र पाल भारत के स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी थे। जिन्होंने भारत की आजादी में अपनी एक अहम भूमिका निभाई थी और वह हमेशा ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलन करते रहते थे । बिपिन चंद्र पाल एक राष्ट्रवादी नेता होने के साथ-साथ इतिहास की मशहूर तिकड़ी लाल-बाल- पाल तिकड़ी में से एक थे। बिपिन चंद्र पाल ने अपने क्रांतिकारी विचारधारा को भारत के प्रत्येक नागरिक में जागृत करने का प्रयास किया ताकि अधिक से अधिक लोग ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलन कर सकें।


इसके अलावा बिपिन चंद्र पाल की गिनती राजनीतिज्ञ, पत्रकार, शिक्षक और मशहूर वक्ता के रूप में भी की जाती है। भारत के आजादी के लिए उन्होंने पूरा जीवन संघर्ष किया और अपना तन और मन देश को समर्पित किया। उनकी बदौलत हमें आजादी मिली इसलिए भारत के इतिहास में उनका नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित है।


बिपिन चंद्र पाल का प्रारंभिक जीवन : भारत के क्रांतिकारी विचारधारा के पितामह बिपिन चंद्र पाल 7 नवंबर 1858 को हबीबगंज जिले में पोइल नामक गांव में जन्मे थे। आज की तारीख में यह जिला बांग्लादेश में है। उनके पिता का नाम रामचंद्र पाल था जो कि एक फारसी विद्धान और छोटे ज़मींदार थे । बिपिन चंद्र पाल बहुत ही कम उम्र में ब्रह्ममण समाज में शामिल हो गए थे। उसके बाद 1876 में शिवनाथ शास्त्री नाम के व्यक्ति ने उन्हें ब्राह्मण समाज की शिक्षा दी।


उस समय के भारत में अनेकों प्रकार की कूरीतियाँ और सामाजिक असमानता थी जिसका उन्होंने पुरजोर विरोध किया। बचपन काल से ही वह जाति के भेदभाव के प्रति काफी आक्रमक रहे और उसका उन्होंने खुलकर भी विरोध किया। जिसके कारण उन्होंने अपने जीवन काल में एक विधवा औरत से शादी की। जिसके कारण उन्हें अपने परिवार वालों से संबंध तोड़ने पड़े। उनके बारे में कहा जाता है कि वह एक बार जो फैसला कर लेते थे उस पर वह हमेशा टिके रहते थे। उनके ऊपर कितना भी सामाजिक या पारिवारिक दबाव हो वह अपने फैसले कभी भी बदला नहीं करते थे और ना ही उनसे समझौता करते थे।


बिपिन चंद्र पाल की शिक्षा: बिपिन चंद्र पाल ने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरा करने के लिए कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया था। लेकिन किसी कारण से उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी और उसके बाद उन्होंने एक हेड मास्टर के तौर पर एक स्कूल में काम करना शुरू किया। इसके अलावा उन्होंने कोलकाता के एक पुस्तकालय में लाइब्रेरियन के तौर पर भी काम किया।


यही पर उनकी मुलाकात शिवनाथ शास्त्री, एस.एन. बनर्जी और बी.के. जैसे क्रांतिकारी नेताओं से हुई। इसके बाद उन्होंने लाइब्रेरियन का काम छोड़ दिया और वह सक्रिय राजनीतिक में आ गए जहां पर उनकी मुलाकात बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय और अरविंद घोष से हुआ । और यहां से ही भारत की आजादी के लिए उन्होंने आंदोलन करना शुरू किया ।


बिपिन चंद्र पाल का भारतीय स्वतंत्रा संग्राम में भूमिका: लाल पाल और बाल के बारे में आप लोगों ने इतिहास में पढ़ा होगा लाल का मतलब होता है लाला लाजपत राय और पाल का मतलब विपिन चंद्र पाल और बाल का मतलब होता है बाल गंगाधर तिलक । इन तीनों लोगों ने मिलकर भारत में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलन करना शुरू किया और स्वदेशी आंदोलन जो भारत में हुआ था उस में मुख्य भूमिका इन तीनों ने ही निभाई थी।


बिपिन चंद्र पाल ने देश की रक्षा के लिए अपना पूरा जीवन देश के प्रति समर्पित कर दिया। भारत के राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका अतुल्य है। देश उनके द्वारा किए यह गए योगदान को भुला नहीं सकते हैं। इसके अलावा 1887 आर्म्स एक्ट कि उन्होंने घोर निंदा की थी।


बिपिन चंद्र पाल ने साल 1905 में बंगाल विभाजन के खिलाफ जबरदस्त आंदोलन किया। इसके अलावा अंग्रेजों ने जो दमनकारी नीतियां भारत के खिलाफ बनाई थी उसका भी उन्होंने खुलकर विरोध किया । इसके अलावा इस दौरान उन्होंने कई सभाओं को भी संबोधित किया साल 1907 में अपनी पत्रिका वंदेमातरम के माध्यम से अंग्रेजी विरोधी जनमत तैयार किया।


जिसके चलते उनके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा चला और उन्हें जेल जाना पड़ा। वहीं रिहा होते ही उन्होंने अपना आंदोलन और तेज कर दिया। सरकार के दमन के समय बिपिनचंद्र पाल इंग्लैंड चले गए, जहां उन्होंने साल 1908 में स्वराज पत्रिका की स्थापना की थी।


इसके माध्यम से उन्होंने अपने क्रांतिकारी विचारों को लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की। लेकिन इस पर प्रतिबंध लगने पर वह भारत लौट आए और यहां उन्होंने हिन्दू रिव्यू पत्र की शुरुआत की। लेकिन साल 1909 में कर्जन वायली की हत्या के मद्देनज़र राजनीतिक नतीजों ने प्रकाशन के पतन को जन्म दिया। और इसके चलते भारत के महान क्रांतिकारी नेता बिपिन चन्द्र पाल लंदन चले गए और वहां पर काफी तकलीफ में उन्होंने अपना गुजारा किया।


जिसके बाद वह चरमपंथी चरण और राष्ट्रवाद से दूर चले गए और उन्होंने महान संघीय विचार के रूप में स्वतंत्र राष्ट्रों के एक संघ का निर्माण किया। स्वराज का मुद्दा उठाने वाले बिपिन चन्द्र पाल जी महात्मा गांधी और उनके विचारों के घोर विरोधी थे। इसी कारण उन्होंने असहयोग आंदोलन का भी बहिष्कार किया था।


वहीं गांधी जी के प्रति उनके आलोचना की शुरुआत गांधी जी के भारत आगमन से ही हो गई थी। जो कि 1921 के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्र साफ तौर पर देखा गया जहां उन्होंने राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि गांधीजी के विचार धारा तार्किक नहीं है बल्कि जादू पर आधारित है।


पाल ने स्वैच्छिक रूप से 1920 में राजनीति से संयास ले लिया था। हालांकि राष्ट्रीय समस्याओं पर अपने विचार जीवन भर अभिव्यक्त करते रहे। वहीं उनकी क्रांतिकारी विचारधारा से ब्रिटिश सरकार भी उनसे खौफ खाती थी।


बिपिन चंद्र पाल के द्वारा लिखी गई रचना और संपादन: उन्होंने अपने जीवन काल में निम्नलिखित प्रकार के रचनाओं का संपादन किया। जिसका विवरण इस प्रकार है-

  • परिदर्शक ।
  • बंगाल पब्लिक ओपिनियन ।
  • लाहौर ट्रिब्यून ।
  • द न्यू इंडिया ।
  • द इंडिपेंडेंट, इंडिया ।
  • बन्देमातरम ।
  • स्वराज ।
  • द हिन्दू रिव्यु ।
  • द डैमोक्रैट।
  • बंगाली ।


रचनाएं :

  • इंडियन नेस्नलिज्म।
  • नैस्नल्टी एंड एम्पायर।
  • स्वराज एंड द प्रेजेंट सिचुएशन।
  • द बेसिस ऑफ़ रिफार्म।
  • द सोल ऑफ़ इंडिया।
  • द न्यू स्पिरिट।
  • स्टडीज इन हिन्दुइस्म।
  • क्वीन विक्टोरिया – बायोग्राफी।
बिपिन चंद्र पाल की मृत्यु: बिपिन चंद्र पाल की मृत्यु 20 मई 1932 कोलकाता में हुआ था।


उपसंहार : बिपिन चंद्र पाल का भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान अतुल्य है । मातृभूमि के रक्षा के लिए उन्होंने अपना सर्वस्व जीवन निछावर कर दिया । ऐसा महान विभूति हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत हैं । हम सभी को बिपिन चंद्र पाल के पद चिन्हों पर चलने का प्रयास करना चाहिए । उन्होंने अपने क्रांतिकारी विचारधारा से उस समय के युवाओं में जोश का संचार किया जिसका परिणाम हुआ कि हमारा देश अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हुआ। ऐसे महान महापुरुष को हमारा शत शत नमन।





F.A.Q ( अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल )

  1. बिपिन चंद्र पाल कौन थे ?
  2. बिपिन चंद्र पाल भारत के स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी थे। जिन्होंने भारत की आजादी में अपनी एक अहम भूमिका निभाई थी और वह हमेशा ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलन करते रहते थे ।

  3. बिपिन चंद्र पाल का जन्म कब और कहा हुआ था ?
  4. बिपिन चंद्र पाल का जन्म 7 नवंबर 1858 को हबीबगंज जिले में पोइल नामक गांव में हुआ था वर्तमान में यह जिला बांग्लादेश में है।

  5. बिपिन चंद्र पाल के माता पिता का क्या नाम था ?
  6. उनके पिता का नाम रामचंद्र पाल था जो कि एक फारसी विद्धान और छोटे ज़मींदार थे ।

  7. बिपिन चंद्र पाल की मृत्यु कब और कैसे हुई थी ?
  8. बिपिन चंद्र पाल की मृत्यु 20 मई 1932 कोलकाता में हुआ था।

  9. क्वीन विक्टोरिया की बायोग्राफी किसने लिखी थी ?
  10. क्वीन विक्टोरिया की बायोग्राफी बिपिन चंद्र पाल ने लिखी थी।


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