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essay on Dowry System in Hindi

Dowry System par nibandh Hindi mein

भूमिका : दहेज प्रथा देश और समाज दोनों के लिए अभिशाप है। आज के इस आधुनिक युग में अभी भी लोगों के द्वारा दहेज लिया और दिया जाता है। सरकार के लगातार प्रयास के बाद भी अभी तक भारत से पूरी तरह से दहेज प्रथा को समाप्त नहीं किया जा सका है। दहेज एक प्रकार की कैंसर जैसी बीमारी है जिसका लगातार प्रचार और प्रसार हो रहा है। अगर हमें दहेज प्रथा को समाप्त करना है तो हम सबको मिलकर सामूहिक प्रयास करना होगा तभी जाकर इस प्रथा को समाप्त किया जा सकता है। बिना आमजन के जागरूकता के इस प्रथा को समाप्त करना काफी मुश्किल है। चाहे सरकार कितने भी कड़े कानून या नियम बना ले लेकिन लोग आज भी दहेज लेते हैं और देते आ रहे है।


दहेज प्रथा आज भी क्यों प्रचलित है:दहेज प्रथा आज के इस आधुनिक युग में भी प्रचलित है। इसके पीछे की वजह है कि हर एक लड़की के माता-पिता का सपना होता है कि अपनी बेटी की शादी एक अच्छे लड़के से करवायें जो अच्छा खासा नौकरी करता हो और जिसकी सैलरी भी अच्छी हो। ऐसे में अगर वह ऐसे लड़के की तलाश करता है, तो लड़के वाले लड़की वालों से अच्छा खासा दहेज की मांग करते हैं। इसके पीछे की वजह बताते हैं कि लड़के को पढ़ाने में कितना खर्च हुआ है। तब जाकर लड़का आज इस मुकाम पर पहुंच पाया है।


दूसरी तरफ लड़की के माता-पिता को लगता है कि अगर उन्होंने दहेज देने से मना किया तो हो सकता है कि इतना अच्छा लड़का उनके हाथ से चला जाए और कोई भी माता-पिता नहीं चाहेगा कि उसकी लड़की की शादी खराब घर में हो। इन सभी मजबूरी के चलते लड़की वालों को दहेज देना पड़ता है। इसके अलावा लड़की के माता-पिता को यह विश्वास होता है कि वह जितना अधिक दे देंगे उतना अधिक उन्हें अच्छा लड़का उसकी लड़की के लिए मिलेगा। इस चक्कर में वह दहेज देने से पीछे नहीं हटते हैं बल्कि मुंह मांगा दहेज देने के लिए तैयार रहते हैं।


लड़के वाले दहेज क्यों लेते हैं: आमतौर में आज के समाज में जो व्यक्ति सबसे अधिक दहेज लेगा और उसकी प्रशंसा समाज में सबसे ज्यादा की जाती है। लोगों को लगता है कि वह लड़के में दम है इसीलिए तो उसे इतना अधिक दहेज मिला है। एक प्रकार से कहे तो लड़कों वालों के लिए दहेज लेना समाज में प्रतिष्ठा का सवाल है। किसी लड़के को दहेज ना मिले तो लोगों का अनुमान होता है कि जरूर लड़के में कोई कमी रही होगी।इसीलिए उसे दहेज प्राप्त नहीं हुआ है।


लोग अपनी झूठी शान शौकत को समाज की नजर में बरकरार रखने के लिए अधिक दहेज की मांग करते हैं। इसके अलावा लड़के वाले के माता-पिता को लगता है कि लड़के को पढ़ाई लिखाई कराने में काफी पैसे खर्च हुए हैं और इस पैसे को अगर उन्हें प्राप्त करना है तो उन्हें दहेज के रूप में पैसे लेने पड़ेंगे ताकि जो भी पैसे उन्होंने अपने लड़के में निवेश किया है वह पैसे दुगने लाभ के साथ उन्हें प्राप्त हो।


दहेज के कारण उत्पन्न होने वाली समस्या: दहेज लड़की वालों के लिए एक प्रकार का वित्तीय बोझ है क्योंकि इसका सबसे अधिक प्रभाव लड़की वाले पर पड़ता है। एक शादी में कई लाख रुपए का खर्च आता है और ऐसे में कई माता-पिता हैं जिनके पास इतने पैसे नहीं होते हैं कि वह अपनी लड़की की शादी कर सके। इसके लिए उन्हें कर्ज लेना पड़ता है जिसके कारण उनके ऊपर एक प्रकार का वित्तीय बोझ आ जाता है। दहेज के कारण भ्रष्टाचार जैसी समस्या भी उत्पन्न होती है क्योंकि जब किसी के घर में लड़की पैदा होती है तो उसके माता-पिता की सबसे पहली चिंता होती है कि जब लड़की बड़ी होगी तो उसकी शादी में कई लाखों रुपए खर्च होंगे।


ऐसे में अगर लड़की के पिता कोई सरकारी नौकरी करते हैं तो उसका भ्रष्टाचार में लिप्त होने की संभावना अधिक होती है। जिसके कारण देश में भ्रष्टाचार की समस्या उत्पन्न हो जाती है। सबसे अधिक परेशानी लड़कियों को उनके मायके से दहेज के लिए पड़ताडित किया जाना है और उन्हें मारा-पीटा भी जाता है कई बार तो लड़की को ससुराल वालों के द्वारा जान से मार भी दिया जाता है। इसलिए दहेज समाज के लिए एक प्रकार का अभिशाप है और इसका समापन होना अति आवश्यक है।


दहेज के लिए कौन-कौन से कानून बनाये गये है: दहेज निषेध अधिनियम, 1961 इस कानून के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति दहेज लेता है तो उसे 5 साल की सजा और 15000 रूपए का जुर्माना का प्रावधान है। इसके अलावा अगर कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दहेज की मांग करता है और उसके खिलाफ अगर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज की जाती हैं तो इस अधिनियम के तहत उसे 6 महीने की सजा और ₹10000 का जुर्माना होगा।


घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 महिला संरक्षण: कई सारी महिलाओं को दहेज के लिए दिन-रात उनका शोषण किया जाता है ऐसे में सरकार ने घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 महिला सुरक्षा का कानून बनाया है। जिसके तहत अगर किसी भी महिला के साथ उसके ससुराल वाले घरेलू हिंसा जैसी कोई भी गतिविधि करते हैं तो अपने ससुराल वाले के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवा सकती है। इस प्रकार के कानून में बहुत सारे कड़े प्रावधान है। अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे काफी सख्त सजा इस कानून के द्वारा दी जाती है।


घरेलू हिंसा अधिनियम बहुत ही मजबूत और सशक्त कानून है इसलिए प्रत्येक महिला को इस कानून के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। पर कई मामलो में ऐसा भी देखा गया है की इस कानून का गलत उपयोग भी किया जाता है, कई लड़कियां अपने ससुराल वालों पर झूठा आरोप लगाकर उन्हें परेशान करती है। इसलिए ऐसे मामलों में न्यायालयों का यह कर्तव्य बनता है की वह उचित फैसला कर किसी को सजा दे।


उपसंहार: दहेज प्रथा यकीनन एक बहुत ही दकियानूसी और संकीर्ण विचारधारा की एक प्रथा है जिसे समाप्त हो जाना काफी आवश्यक है। क्योंकि दहेज के कारण कई लड़कियों की जिंदगी आए दिन चली जा रही है। इसलिए दहेज प्रथा को हमें रोकना होगा और इसकी शुरुआत हमें अपने घर से करनी होगी तभी जाकर दहेज प्रथा को पुरे समाज से रोका जा सकता है।





F.A.Q ( अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल )

  1. दहेज़ प्रथा क्या है ?
  2. शादी में लड़की पार्टी द्वारा लड़के वालों को दिया गया रुपया, पैसा, जेवर, सामान इत्यादि दहेज़ कहा जाता है, और इस दहेज़ को देने की परंपरा को दहेज़ प्रथा कहते है।

  3. क्या दहेज़ लेना अपराध है ?
  4. भारत देश में दहेज़ की मांग करना एक अपराध है, जिसके लिए दहेज़ मांग रहे व्यक्ति 5 साल की सजा और 15000 रुपय का जुर्माना हो सकता है।

  5. दहेज़ कौन देता है ?
  6. शादी में दहेज़ लड़की पक्ष के द्वारा दूल्हा पक्ष को दिया जाता है।

  7. दहेज़ प्रथा से सम्बंधित कौनसा कानून है ?
  8. दहेज निषेध अधिनियम, 1961 इस कानून के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति दहेज लेता है तो उसे 5 साल की सजा और 15000 रूपए का जुर्माना का प्रावधान है।

  9. दहेज़ प्रथा को अंग्रेजी में क्या कहते है ?
  10. दहेज़ प्रथा को अंग्रेजी में डोवरी सिस्टम ( Dowry System ) कहा जाता है।


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