[ 600 शब्द ] Essay on women empowerment in Hindi - mahila sashaktikaran par nibandh

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mahila sashaktikaran par nibandh

women empowerment par nibandh Hindi mein

भूमिका: महिला सशक्तिकरण का मतलब होता है कि महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत करना । ताकि वह अपने फैसले खुद ले और दूसरे के ऊपर निर्भर ना रह सके। हम यह जानते हैं कि प्राचीन काल से ही पुरुषों के इस समाज में महिलाओं को बराबर का दर्जा नहीं दिया गया है। और आज भी महिलाएं गुलाम की तरह जीवन व्यतीत कर रहे हैं।


ऐसे कई देश और क्षेत्र हैं जहां महिलाओं पर आए दिन कोई न कोई अत्याचार और उनका शोषण हो रहा है। इसकी प्रमुख वजह है कि महिलाओं का सशक्तिकरण ऐसे क्षेत्रों में बहुत ही कम है। जिसके कारण महिलाओं को पुरुषों के बराबर का दर्जा नहीं दिया गया है। इसलिए महिला सशक्तिकरण आज की तारीख में करना बहुत ज्यादा आवश्यक है।


भारत में महिला सशक्तिकरण की क्यों जरुरत है: भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है ऐसे में यहां पर प्राचीन काल से ही महिलाओं के साथ भेदभाव का व्यवहार किया गया है। जिसके कारण महिलाओं का सशक्तीकरण उस प्रकार से नहीं हुआ जिस प्रकार से होना चाहिए। आज भारत के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर महिलाओं का दर्जा गुलाम के समान है।


महिलाएं शादी के पहले अपने पिता के द्वारा बनाए गए नियम कानून के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करते हैं और शादी के बाद पति के द्वारा। ऐसे में महिलाओं को अपना खुद का फैसला लेने का हक नहीं है। इसलिए भारत में महिलाओं का सशक्तिकरण करने का काम सरकार का है। इसके अलावा लोगों में जागरूकता भी चलाई जानी चाहिए कि महिलाओं का सशक्तिकरण होना चाहिए तभी जाकर महिलाएं पुरुषों के समान सम्मान और दर्जा पा पाएंगे।


ऐसे तो भारत में महिलाओं को देवी का स्थान भी दिया जाता है लेकिन इसके बावजूद भी महिलाओं का सशक्तिकरण अभी भी पूरी तरह से नहीं हुआ है।


प्राचीन भारत में महिलाओं के प्रति अनेकों प्रकार की कुप्रथा एवं अपराध चरम पर थी जैसे, सती प्रथा, नगर वधु व्यवस्था, दहेज प्रथा, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा, गर्भ में बच्चियों की हत्या, पर्दा प्रथा, कार्य स्थल पर यौन शोषण, बाल मजदूरी, बाल विवाह और देवदासी प्रथा इन सभी प्रथाओं के कारण नारियों का सशक्तिकरण नहीं हो पाया बल्कि नारियों को गुलाम की तरह खा गया। ऐसे में हमें इन सभी प्रथाओं के खिलाफ तेजी के साथ लड़ना होगा तभी नारियों का सशक्तिकरण हो पाएगा।


भारत के इतिहास में ऐसे अनेकों महापुरुष मिल जाएंगे जिन्होंने महिलाओं का सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया। ईश्वर चंद्र विद्यासागर, स्वामी विवेकानंद, विनोबा भावे, राजा राममोहन राय जैसे महापुरुषों ने महिलाओं के आवाज को समाज में बुलंद किया और उनके खिलाफ जो भी प्रथा और परंपरा थी उसका उन्होंने पुरजोर विरोध किया। इसका परिणाम हुआ कि भारत में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 1856 बनाया गया जिसमें विधवाओं को शादी करने का अधिकार प्राप्त हुआ।


महिलाओं को सशक्त करने के लिए भारत सरकार ने कई प्रकार के अधिनियम और एक्ट संसद से पास करवाए हैं जिसका विवरण इस प्रकार है-

  1. एक बराबर पारिश्रमिक एक्ट 1976।
  2. दहेज रोक अधिनियम 1961।
  3. अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम 1956।
  4. मेडिकल टर्म्नेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1987,बाल विवाह रोकथाम एक्ट।
  5. 2006, लिंग परीक्षण।
  6. तकनीक (नियंत्रक और गलत इस्तेमाल के रोकथाम) एक्ट 1994।
  7. कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन शोषण एक्ट 2013।


उपसंहार : महिलाओं को अगर आर्थिक रूप से मजबूत और सशक्त करना है तो इसके लिए महिलाओं का सशक्तिकरण करना आवश्यक है तभी जाकर महिलाएं पुरुषों के समान समाज में उनको दर्जा प्राप्त हो पाएगा। ऐसा नहीं है कि महिलाएं आज की तारीख में पुरुषों से कम है लेकिन आज भी भारत में कई ऐसी जगह है जहां की महिलाएं गुलाम के समान है। इसलिए हमें भारत के प्रत्येक महिला को मजबूत सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना है।





F.A.Q ( अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल )

  1. महिला सशक्तिकरण क्या है?
  2. समाज में महिलाओं को पुरुषो जैसा समान अधिकार को महिला सशक्तिकरण कहते है।

  3. महिला सशक्तिकरण को अंग्रेजी में क्या कहते है?
  4. महिला सशक्तिकरण को अंग्रेजी में वीमेन एम्पोवेर्मेंट ( Women Empowerment ) कहते है।

  5. महिला सशक्तिकरण क्यों जरुरी है ?
  6. किसी भी देश, समाज, या परिवार के विकाश में पुरुष एवं महिलाओं का बराबर योगदान होता है. इसलिए महिला सशक्तिकरण अति आवश्यक है।


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