[ 900 शब्द ] Essay on Mother Teresa in Hindi - मदर टेरेसा पर निबंध

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Mother Teresa par nibandh Hindi mein

भूमिका: मदर टेरेसा भारत और दुनिया की एक मशहूर समाजसेवी थी। उन्होंने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने सभी वर्ग के लोगों की सेवा निस्वार्थ भावना से की है। उन्होंने कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। इसके अलावा मदर टेरेसा सभी धर्मों का सम्मान करती थी। मदर टेरेसा मूल रूप से ईसाई धर्म को मानने वाली थी लेकिन उनका मूल धर्म मानवता की सेवा करना ही था।


मदर टेरेसा ने गरीब असहाय लोगों की सेवा बड़ी ही निष्ठा और श्रद्धा के साथ की। मदर टेरेसा भारतीय नहीं थी लेकिन फिर भी उन्होंने जिस प्रकार भारत के लोगों की सेवा की शायद ही कोई विदेशी आज तक ऐसा कर पाया। मदर टेरेसा के जीवन का प्रमुख लक्ष्य लोगों की सेवा करना था। मदर टेरेसा को शांति का दूत, गरीबों का मसीहा और अनाथ बच्चों की सच्ची मां कहा जाता है।


मदर टेरेसा का प्रारंभिक जीवन और जन्म: मदर टेरेसा का जन्म स्कोप्जे, उत्तर मैसेडोनिया में 26 अगस्त, 1910 को हुआ था। उनके पिता और माता का नाम निकोला बोयाजू और द्रना बोयाजू था। बचपन से ही मदर टेरेसा को सामाजिक सेवा में बहुत ज्यादा रुचि थी। 8 वर्ष की उम्र में उनके पिता का देहांत हो गया और उनका लालन-पालन उनकी मां ने काफी संघर्ष और तकलीफ से की।


इसलिए बचपन से ही उन्होंने संघर्ष और तकलीफ को काफी करीब से देखा। मदर टेरेसा अपने घर में सबसे छोटी थी। बचपन से ही मदर टेरेसा परिश्रमी और दयालु थी। वह लोगों की सेवा करने में आनंद महसूस करती थी।


मदर टेरेसा की शिक्षा : बचपन से ही मदर टेरेसा को पढ़ाई लिखाई का बहुत शौक था। लेकिन जब उनकी उम्र 12 वर्ष थी तभी वह सिस्टर ऑफ लॉर्ड में शामिल हो गई और इसके बाद वह आईलैंड चली गई। जहां पर उन्होंने अंग्रेजी भाषा का अध्ययन किया। जब उनकी उम्र 18 वर्ष हुई तब तक वह एक नन बन चुकी थी। कुछ वर्ष के उपरांत वह भारत आ गई और भारत के लोरेटो कॉन्वेंट स्कूल में शिक्षिका के तौर पर काम करने लगी। सभी बच्चे उनसे बहुत ज्यादा प्रेम करते थे। क्योंकि वह काफी दयावान थी और बच्चों से काफी प्रेम भी करती थी। आगे चलकर इस स्कूल की हेड मिस्ट्रेस बनी।


मदर टेरेसा समाजसेविका कैसे बनी: ऐसा कहा जाता है कि 1937 में जब मदर टेरेसा दार्जलिंग जा रही थी तो उन्हें एक ईश्वरीय संदेश प्राप्त हुआ। जिसके बाद मदर टेरेसा अपाहिजों, निराश्रितों, मरणासन्न लड़कियों की सेवा में लग गई। इसके अलावा जिन लोगों का इस दुनिया में कोई नहीं है और मरने के बाद उनका शरीर लावारिस की तरह रास्ते पर पड़ा रहता है। उन लोगों के अंतिम संस्कार करने का बीड़ा मदर टेरेसा ने उठाया था। 10 सितंबर को भारत में प्रतिवर्ष प्रेरणा दिवस मनाया जाता है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन मदर टेरेसा को ईश्वरीय प्रेरणा मिला था।


जिसके बाद ही उन्होंने लोगों की सेवा करने का प्रण लिया था। 1948 को मदर टेरेसा को भारत की नागरिकता दी गई। सबसे महत्वपूर्ण बात उन्होंने कोढ़ रोग से पीड़ित रोगियों की सेवा की। उनको इस बात की चिंता नहीं थी कि उन्हें भी कुष्ठरोग हो सकता है बल्कि उन्होंने उनके दुख को कम करने का काम किया। ऐसे महान समाजसेवी को हमें शत शत नमन करना चाहिए।


मदर टेरेसा ने विशेष तौर पर कोलकाता की गंदी बस्तियों और झुग्गी झोपड़ी आदि को अपने समाज सेवा का कार्य क्षेत्र बनाया। उन्होंने वहां पर अनाथ बच्चों, अपाहिज लोगों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके द्वारा किये गए कामो की वजह से उनका नाम बहुत ज्यादा मशहूर होने लगा था। लोगों ने उन्हें मदर यानी मां के नाम से बुलाने लगे। मदर टेरेसा को लोग ईश्वर का अवतार भी मानते थे।


मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना: सन् 1950 में मदर ने कुछ अन्य भिक्षुणियों की सहायता से ‘‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी” नामक संस्था की स्थापना की। मदर टेरेसा का मिशनरीज ऑफ चैरिटी जगदीश बोस रोड पर स्थित था। यहां पर ऐसे लोगों को आश्रय दिया जाता था जो भूखे नंगे बदहाल और कुष्ठ रोगी थे। यहां पर उनकी सेवा बिल्कुल मां की तरह की जाती थी। जब इसकी स्थापना की गई थी तो उस समय 12 नन यहां पर काम करती थी। यह संस्था आज भी चल रही है। और आज की तारीख में 400 से अधिक नन यहां पर काम करती हैं।


नन का मतलब होता है ऐसी लड़कियां जो जीवन भर शादी नहीं करेंगे बल्कि मानवता की भलाई के लिए वह दिन रात काम करेंगे। आज सारे विश्व में मदर द्वारा स्थापित 240 से अधिक आश्रम, सेवागृह, अस्पताल, स्कूल, अनाथालय आदि हैं। आज की तारीख में 250 से अधिक देशों में ‘‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी का संचालन किया जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि यहां पर लोगों की सेवा बिल्कुल मुफ्त में की जाती है। उनसे एक भी पैसा नहीं लिया जाता है।


मदर टेरेसा को मिलने वाले अवार्ड:

  1. पद्म श्री, भारत सरकार (1962)।
  2. नोबल पुरुस्कार (1979)।
  3. भारत रत्न, भारत सरकार (1980)।
  4. मैडल ऑफ़ फ्रीडम, अमेरिका सरकार (1985)।
  5. आर्डर ऑफ़ ब्रिटिश एम्पायर, इंग्लैंड महारानी द्वारा।
  6. टेम्पलस, इंग्लैंड राजकुमार फिलिप द्वारा।
  7. पॉप शांति, पॉप छठे द्वारा।
  8. ब्लेस्ड टेरेसा ऑफ़ कलकत्ता (2003), पॉप जॉन पोल।


मदर टेरेसा की मृत्यु: मदर टेरेसा की मृत्यु 5 सितंबर 1997 में हार्ट अटैक आने की वजह से हुआ था। आज भले ही मदर टेरेसा हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके द्वारा किए गए सामाज सेवा और उनके कार्य हमेशा याद किए जाएंगे। ऐसा कहा जाता है कि जब उनकी मृत्यु हुई तो लोगों का जनसैलाब उमड़ा था।


लोगों के आंसू नहीं रुक रहे थे इसकी प्रमुख वजह थी कि मदर टेरेसा को मां कहा जाता था। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति की मां की मृत्यु होती है तो उसकी आंखों से आंसू निकलना स्वभाविक है।





F.A.Q ( अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल )

  1. मदर टेरेसा कौन थी ?
  2. मदर टेरेसा भारत और दुनिया की एक मशहूर समाजसेवी थी। उन्होंने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा के लिए समर्पित कर दिया।

  3. मदर टेरेसा का जन्म कब और कहा हुई थी ?
  4. मदर टेरेसा का जन्म स्कोप्जे, उत्तर मैसेडोनिया में 26 अगस्त, 1910 को हुआ था।

  5. मदर टेरेसा किस देश की थी ?
  6. मदर टेरेसा उत्तर मैसेडोनिया देश की थी।

  7. मदर टेरेसा भारत के किस राज्य में रहती थी ?
  8. मदर टेरेसा भारत के कोलकाता राज्य में रहती थी।


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