[350 शब्द ] Essay on shishtachar in Hindi - shishtachar par nibandh Hindi mein

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Essay on shishtachar in Hindi - shishtachar par nibandh Hindi mein

परिचय:-शिष्टाचार अर्थात सभ्य या उतम आचरण ( व्यवहार )। दुसरे शब्दों में ऐसा व्यवहार या आचरण जो सभ्य समाज द्वारा प्रशंसनीय हो शिष्टाचार कहलाता है। शिष्ट आचरण व्यक्ति ही सही मायनो में मनुष्य है। ऐसे व्यक्ति को समाज में आदर और सम्मान मिलता है। प्रायः सभी महापुरुषों में भी अन्य गुणों के अतिरिक्त यह गुण पाया गया है।


विशेषताए:- किसी भी व्यक्ति के अन्दर छिपे हुए शिष्टाचार को थोड़ी देर के संपर्क में पहचाना जा सकता है। शिष्ट व्यक्ति विनम्र और हंसमुख होता है। वह दुसरो के काम में दखल नहीं देता है। वह दुसरो के दुर्गुणों पर ध्यान न देकर अपने को सुधारने के लिए प्रयत्नशील रहता है। ऐसे व्यक्ति के अन्दर द्वेष इर्ष्या जैसे भाव कतई नहीं होते है। व्यक्ति का सात्विक आचरण और मृदुवाणी से इनकी पहचान होती है।


वह अनुशासन एवं समय कि पाबन्दी को पूजा समझता है। तथा मनुष्य तो मनुष्य पशु-पक्षियों के साथ भी दया एवं ममता-भरा व्यव्हार करता है। वह क्षमाशील होता है। और किसी का बुरा नहीं चाहता। परोपकार और स्वाभिमान की भावना उसके अन्दर कूट-कूटकर भरी रहती है। परन्तु वह घमंड से बहुत दूर रहता है। उसमे त्याग का भाव सबसे अधिक होता है। वह दुसरे के दुखों को अपना दुःख समझकर दुसरे की मदत करता है।


महत्त्व:- मानव-जीवन में शिष्टाचार हर कदम पर अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शिष्ट व्यक्ति किसी भी सामाजिक काम को करने में संकोच नहीं रखता है। चाहे मंदिर मस्जिद या गुरूद्वारे-जैसे पवित्र स्थान पर पूजा आदि का अवसर हो अथवा शादी-ब्याह जैसे सामाजिक रीती-रिवाजो का आयोजन वह सही आचरण द्वारा सबके स्नेह का पात्र बन जाता है।


घर हो या सार्वजनिक स्थान जैसे -स्कूल बाजार रेलवे-स्टेशन सिनेमाघर आदि हर जगह शिष्टाचार मनुष्य को आदर दिलवाता है। शिष्ट व्यव्हार से दुश्मन भी धीरे-धीरे मित्र बन जाता है। शिष्ट लोगो का प्रायः कोई विरोधी भी नहीं होता है।


उपसंहार:- हर व्यक्ति में अच्छे और बुरे गुण होते है। लेकिन अधिक अच्छे गुणोवाला आदमी आदर्श होता है। और उससे दुसरो को शिष्टाचार की प्रेरणा मिलती है। जिस व्यक्ति के अन्दर शिष्टाचार नहीं होता है, वह मानव नहीं ,बल्कि पशु के समान है।



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